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पाकिस्तानी अखबार ‘द डॉन‘ ने हाल ही में सराज खान की कहानी प्रकाशित की, जो 1986 में 10 साल की उम्र में गलती से भारत आ गए थे। उन्होंने भारत में ही अपना जीवन बिताया, भारतीय नागरिक बने, शादी की और बच्चे हुए। सबसे खास बात यह रही कि उन्हें कभी अपना नाम या धर्म बदलने की ज़रूरत नहीं पड़ी। 2018 में, उच्च अधिकारियों के हस्तक्षेप से सराज खान की पाकिस्तान वापसी संभव हुई। लेकिन अपने देश लौटने पर उन्हें अपनों से उम्मीद के विपरीत नफरत का सामना करना पड़ा। उनके रिश्तेदारों ने उन्हें ‘काफ़िर‘ और ‘हिंदू‘ कहा, जबकि उनके भाई ने उन पर सिर्फ संपत्ति के लिए वापस आने का आरोप लगाया। उनकी पत्नी सजिदा को भी उनके सांवले रंग के कारण ताने झेलने पड़े, और परिवार ने उनके साथ बर्तन तक साझा नहीं किए। सराज खान ने पाकिस्तानी मीडिया को बताया, “हम सुनते हैं कि भारत में मुसलमानों के लिए मुश्किलें हैं, लेकिन मैंने कभी वहां ऐसी नफरत का सामना नहीं किया।”