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उर्दू लेखिका असमत चुग़ताई ने अपने परिवार के एक विवादास्पद अभ्यास का खुलासा किया है, जिसमें उनका मुस्लिम परिवार अपनी पड़ोसी हिंदू बच्ची, सुषी, जो पूरी तरह से शाकाहारी थी, को अक्सरधोखे से मांस खिलाया करता था। वे सुषी के खाने में मांस मिलाकर उसे परोसा करते थे, और इस कृत्य से परिवार को गहरा संतोष प्राप्त हुआ करता था। इस खुलासे से यह समझ में आता है कि इस तरह के कार्य व्यक्तिगत नहीं होते, बल्कि एक सामाजिक मानसिकता को दर्शाते हैं। इस घटना को देखते हुए, उत्तर प्रदेश में काँवड़ यात्रा के चलते दुकानों के बाहर मालिक का नाम लिखने का निर्णय उचित ही प्रतीत होता है। होटल के नाम और पहचान इस तरह की सांस्कृतिक और धार्मिक संवेदनाओं को सही तरीके से समझने और प्रबंधित करने में मदद कर सकते हैं। यह घटना समाज में धर्म और संस्कृति की विविधताओं को पहचानने की आवश्यकता को उजागर करती है।