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2 साल पहले भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा चीतों को फिर से बसाने का साहसिक कदम उठाया गया था। उस समय कई आलोचकों और पर्यावरण के कुछ वर्गों ने इस परियोजना पर सवाल उठाए थे और उम्मीद की थी कि यह असफल साबित होगी। हालांकि, उनकी आशाएं निराशा में बदल गईं क्योंकि चीते न केवल जीवित रहे, बल्कि उन्होंने इस नए माहौल में खुद को ढाल लिया, प्रजनन किया और बच्चों को जन्म दिया। आज कुछ शावक अपने वयस्क होने की ओर बढ़ रहे हैं और जल्द ही खुद भी अपनी संतान पैदा करने की क्षमता प्राप्त कर लेंगे। यह सफलता उन आलोचकों के लिए एक कड़ा जवाब है, जो इस परियोजना के विफल होने की उम्मीद कर रहे थे। चीतों की इस प्रजनन और विकास की कहानी ने भारत के वन्यजीव संरक्षण में एक नई उम्मीद जगाई है और दिखाया है कि सही प्रयासों से बड़े बदलाव लाए जा सकते हैं।